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महारानी 4′ Review: रानी भारती अब दिल्ली की सत्ता पर नज़र, हुमा कुरैशी का अब तक का सबसे दमदार अवतार!

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Updated: 09-11-2025, 10.12 AM

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राजनीतिक ड्रामा सीरीज़ के शौकीनों का लंबा इंतज़ार आखिरकार खत्म हो गया है। ओटीटी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली, हुमा कुरैशी की बहुचर्चित वेब सीरीज़ “महारानी” अपने चौथे और अब तक के सबसे बड़े सीज़न के साथ लौट आई है। यह सीज़न 7 नवंबर, 2025 से ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव (Sony LIV) पर स्ट्रीम हो रहा है। इस बार कहानी बिहार की संकरी गलियों और सियासी दांव-पेंच से निकलकर दिल्ली के सत्ता के गलियारों तक पहुंच गई है, जहां मुख्यमंत्री रानी भारती का सामना अब किसी स्थानीय नेता से नहीं, बल्कि सीधे देश के प्रधानमंत्री से होगा।

क्या है ‘महारानी 4’ की कहानी? बिहार से दिल्ली तक की जंग

चौथे सीज़न की कहानी ठीक वहीं से शुरू होती है, जहां तीसरा सीज़न एक रोमांचक मोड़ पर खत्म हुआ था। इस बार रानी भारती (हुमा कुरैशी) का कद और उनकी महत्वाकांक्षाएं, दोनों ही आसमान छू रही हैं। कहानी का केंद्र बिहार से हटकर दिल्ली बन गया है, जहां प्रधानमंत्री सुधाकर श्रीनिवास जोशी (विपिन शर्मा) की गठबंधन सरकार एक बड़े संकट में फंसी हुई है। सरकार का एक प्रमुख सहयोगी दल अपना समर्थन वापस ले लेता है, जिससे सरकार गिरने की कगार पर आ जाती है।

सरकार बचाने के लिए प्रधानमंत्री जोशी को रानी भारती की पार्टी के सांसदों के समर्थन की सख्त ज़रूरत पड़ती है। लेकिन रानी, जो अब राजनीति के हर दांव-पेंच को सीख चुकी है, किसी की मोहरा बनने के बजाय खुद बाजी पलटने का फैसला करती है। वह प्रधानमंत्री को समर्थन देने की जगह उन्हें ही टक्कर देने का ऐलान कर देती है। कहानी में एक बड़ा मोड़ तब आता है, जब रानी भारती बिहार के लिए एक विशेष वित्तीय पैकेज की मांग को लेकर दिल्ली जाती है, जहां उसे सत्ता के अहंकार और अपमान का सामना करना पड़ता है। इस अपमान का बदला लेने के लिए रानी एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक चलती है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होती। वह अपनी बेटी रोशनी (श्वेता बसु प्रसाद) को बिहार का मुख्यमंत्री बनाकर खुद राष्ट्रीय राजनीति के अखाड़े में उतर जाती हैं। अब रानी की जंग सिर्फ अपने राजनीतिक विरोधियों से नहीं, बल्कि दिल्ली की पूरी सत्ता, ताकतवर जांच एजेंसियों और परिवार के भीतर चल रही खींचतान से भी है।

दमदार स्टारकास्ट और किरदारों का नया मोड़

“महारानी” की सफलता का एक बड़ा श्रेय हमेशा से इसके दमदार कलाकारों और उनके द्वारा निभाए गए यथार्थवादी किरदारों को जाता रहा है। यह सीरीज़ सिर्फ एक किरदार की कहानी नहीं, बल्कि कई किरदारों के आपसी टकराव, उनकी महत्वाकांक्षाओं और उनकी राजनीति की कहानी है। चौथा सीज़न इस परंपरा को और भी आगे ले जाता है, जहाँ पुराने किरदारों के नए रूप देखने को मिलते हैं और कुछ नए शक्तिशाली किरदार कहानी को और भी दिलचस्प बनाते हैं।

रानी भारती का और भी शक्तिशाली अवतार

हुमा कुरैशी एक बार फिर रानी भारती के अपने किरदार में लौटी हैं, और इस बार उनका अभिनय और किरदार का ग्राफ पहले से भी ज़्यादा प्रभावशाली और गहरा है। अब वह सिर्फ बिहार की मुख्यमंत्री या एक भोली-भाली गृहिणी नहीं रहीं, जिसे राजनीति में धकेल दिया गया था। इस सीज़न में रानी भारती एक शांत, परिपक्व और ऐसी चतुर रणनीतिकार बन चुकी हैं, जो राष्ट्रीय राजनीति की शतरंज पर अपनी चालें चल रही हैं। वह अब भावनाओं में बहकर फैसले नहीं लेतीं, बल्कि ठंडे दिमाग से अपने दुश्मनों को मात देती हैं।

हुमा कुरैशी ने अपने हाव-भाव, बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी से इस बदलाव को पर्दे पर जीवंत कर दिया है। उनके चलने का अंदाज़, उनकी आँखों की गंभीरता और उनके संवादों में जो ठहराव और आत्मविश्वास झलकता है, वह दिखाता है कि यह किरदार पिछले तीन सीज़न के अनुभवों, धोखों और जीतों से तपकर निकला है। एक अनपढ़ महिला से लेकर देश की सबसे ताकतवर कुर्सी को चुनौती देने तक का उनका यह सफर इस सीज़न में अपने चरम पर है।

नए और पुराने चेहरों की जंग

इस सीज़न की खासियत सिर्फ रानी भारती का बदला हुआ रूप ही नहीं, बल्कि बाकी किरदारों का विकास भी है:

  • प्रधानमंत्री के रूप में विपिन शर्मा: इस सीज़न में अभिनेता विपिन शर्मा ने प्रधानमंत्री सुधाकर श्रीनिवास जोशी के रूप में एक बेहद मजबूत और यादगार किरदार निभाया है। वह रानी भारती के लिए एक योग्य और ताकतवर प्रतिद्वंद्वी साबित होते हैं। उनके और रानी के बीच की वैचारिक और राजनीतिक टक्कर ही इस सीज़न का मुख्य आकर्षण है।
  • पुराने प्रतिद्वंद्वी, नई भूमिका में: अमित सियाल (नवीन कुमार) और सोहम शाह (भीमा भारती) जैसे पुराने चेहरे भी अपनी दमदार भूमिकाओं में वापस आए हैं। नवीन कुमार हमेशा की तरह रानी के रास्ते में रोड़े अटकाते हैं, तो वहीं भीमा भारती की विरासत और उनके नाम का असर आज भी बिहार की राजनीति पर कायम है।
  • नई पीढ़ी की राजनीति: इस बार कहानी में सबसे बड़ा मोड़ रानी भारती के बच्चों का राजनीति में आना है। श्वेता बसु प्रसाद (रोशनी) और शार्दुल भारद्वाज, रानी के बच्चों की भूमिका में हैं, जो अब बड़े हो चुके हैं और अपनी अलग राजनीतिक विरासत की जंग लड़ रहे हैं। यह टकराव कहानी में एक नया पारिवारिक और भावनात्मक एंगल जोड़ता है, जहाँ रानी को एक माँ और एक राजनेता के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।

कैसी है दर्शकों और आलोचकों की प्रतिक्रिया?

“महारानी 4” को दर्शकों और आलोचकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। सोशल मीडिया पर हुमा कुरैशी के अभिनय और उनके दमदार डायलॉग्स की जमकर तारीफ हो रही है। कई लोगों का मानना है कि यह सीज़न सत्ता, बदला और विश्वासघात का एक दिलचस्प और मनोरंजक मिश्रण है जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है। वहीं, कुछ आलोचकों का यह भी कहना है कि इस बार कहानी थोड़ी खींची हुई लगती है और रानी बनाम प्रधानमंत्री की लड़ाई में पहले सीज़न जैसा कच्चापन और चौंकाने वाले मोड़ कम हैं। हालांकि, सीरीज़ के दमदार अभिनय, बेहतरीन प्रोडक्शन क्वालिटी और बिहार की अंदरूनी राजनीति के यथार्थवादी चित्रण को लगभग सभी ने पसंद किया है।

निष्कर्ष: रानी भारती का यह सफर मिस न करें

दिलचस्प बात यह है कि सीरीज़ की रिलीज़ बिहार विधानसभा चुनाव के समय के आस-पास हुई है, हालांकि निर्देशक पुनीत प्रकाश ने इसे महज़ एक संयोग बताया है। कुल मिलाकर, “महारानी 4” एक दमदार पॉलिटिकल ड्रामा है, जो रानी भारती के एक गृहिणी से राष्ट्रीय स्तर की नेता बनने के सफर को एक नए और रोमांचक मोड़ पर ले जाता है। अगर आप राजनीतिक ड्रामा और दमदार अभिनय के शौकीन हैं, तो यह सीज़न आपके लिए है। यह देखना दिलचस्प होगा कि रानी भारती दिल्ली की सत्ता हासिल कर पाती है या नहीं, लेकिन एक बात तय है कि उसका यह सफर आपको अपनी सीट से हिलने नहीं देगा।

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